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What is Accounting ? | Tally Prime | In Hindi ( हिन्दी मे )

 What is Accounting ? ( अकाउटिंग क्या है ?)

जो लोग टैली सीखना चाहते है निश्चित रूप से उन्हे मालुम है कि टैली एक Accounting Software  है | पर आप जानते है  Accounting क्या है ? अकाउटिंग कैसे करते है , उसके क्या सिद्धांत है , उसके क्या लाभ है | सायद कुछ लोग जानते है और कुछ नहीं , इसलिए हम टैली सिखाने से पहले अकाउटिंग और अकाउटिंग मे प्रयोग होने टेक्निकल शब्दों के बारे मे जानेंगे |


अकाउटिंग क्या है ?

किसी व्यापार या व्यवसाय के वित्तीय ( Financial ) लेनदेन का लिपिबद्ध रिकॉर्ड रखना उसका वर्गीकरण ( Classification ) करने सारांश ( Summary ) प्रस्तुत करने उसका विवरण ( Report ) तैयार करने और उनका विश्लेषण ( Analysis ) करने की कला को ही अकाउंटिंग कहते हैं |

अकाउटिंग मे उपयोगे होने वाले टेक्निकल शब्दों के अर्थ –

Trade ( व्यापार ) - लाभ कमाने के उद्देश्य से किया गया वस्तुओं का क्रय या विक्रय व्यापार कहलाता है |

Profession ( पेशा ) - आय अर्जित करने के लिए किया गया कोई भी काम या कोई भी साधन जिसके लिए पूर्व प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है वह पेशा कहलाता है |

जैसे : डॉक्टर , वकील , डॉक्टर , वकील , टीचर , इंजीनियरिंग आदि द्वारा किया गया कार्य पेशा कहलाता है |

Business ( व्यवसाय ) - ऐसा कोई भी वैधानिक काम जो आए या लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया हो व्यवसाय कहलाता है |

व्यवसाय एक व्यापक शब्द है इसके अंतर्गत उत्पादन , वस्तुओं या सेवाओं का क्रय-विक्रय , बैंक , बीमा , परिवहन , कंपनियों आदि आते हैं | व्यापार व पेशा भी इसी के अंतर्गत आते हैं |

Transaction ( लेन-देन ) - लेनदेन व्यवसाय में माल मुद्रा या सेवा के पारस्परिक पारस्परिक व्यवहार या आदान-प्रदान को लेनदेन कहते हैं और यह सभी मुद्रा द्वारा मैप जाते हैं क्योंकि यह मुद्रा से संबंधित है इसलिए इन्हें Financial Transaction भी कहते है इसमें मुद्रा का भुगतान तुरंत या भविष्य में हो सकता है |

जब सौदा का तुरंत भुगतान किया गया जाता है तब वह नगद लेन-देन ( Cash Transaction ) कहलाता है |  जब भुगतान भविष्य में किया जाता है तब उसे उधर लेन-देन ( Credit Transaction ) कहते हैं |

Goods  ( माल ) - माल उसे वस्तु को कहते हैं जिसका क्रय विक्रय या व्यापार किया जाता है | माल के अंतर्गत वस्तुओं के निर्माण हेतु प्राप्त कच्ची सामग्री , अर्ध निर्मित सामग्री और निर्मित सामग्री या तैयार वस्तुएं भी हो सकती हैं |

उदाहरण के लिए वस्त्र विक्रता द्वारा खरीदा गया कपड़ा , शक्कर मिल द्वारा खरीदा गया गाना व निर्मित शक्कर , फर्नीचर के व्यापारी द्वारा फर्नीचर बनाने के लिए खरीदी गई लकड़ी व तैयार फर्नीचर , अनाज के व्यापारी द्वारा खरीदा गया अनाज उसे व्यापारी के लिए माल है |

Purchase ( क्रय ) - पुनः विक्रय पुनर विक्रय के उद्देश्य यानी बचने के उद्देश्य से व्यापार में खरीदा गया माल क्रय या खरीदी कहलाता है |

व्यापार में माल को नगद या उधर खरीदा जा सकता है जिसे Cash Purchase / Credit Purchase कहते हैं |

यहां एक बात का ध्यान रखें व्यापारी जिस भी वस्तु का व्यापार करता हो उसके अलावा यदि कोई अन्य वस्तुएं खरीदता है तो वह खरीदी Purchase नहीं कहलाएगी |

जैसे यदि कोई कपड़ा व्यापारी व्यापार के लिए कपड़ा खरीदना है तो यह Purchase के अंतर्गत आएगा पर यदि वह अपने दुकान के संचालन के लिए कंप्यूटर खरीदता है तो यह Purchase के अंतर्गत नहीं आएगा क्योंकि उसने ये कंप्यूटर अपने दुकान को संचालन के लिए खरीदा है बेचने के लिए नहीं |

Sales ( विक्रय ) - किसी भी व्यापार में कोई माल लाभ कमाने के उद्देश्य से बेचा जाता है तो यह Sales कहलाता है |

व्यापार में माल को नगद या उधर बेचा जा सकता है जिसे Cash Sales / Credit Sales कहते हैं |

नगद और उधर विक्री को मिलाकर कुल विक्रय यानी टोटल सेल्स को Turn Over ( टर्नओवर ) कहा जाता है |

यहां महत्वपूर्ण बात ये है कि हमारा व्यापार जिन वस्तुओं या सेवाओं का है उनके अलावा जो भी बेचा जाता है वह सेल्स या विक्रय नहीं कहलाता है |

उदाहरण के लिए मान लीजिए आपका Electronics item का शोरूम है और आप इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान वेचेगे तो इसे सेल्स कहा जाएगा | लेकिन यदि आप अपने शोरूम का पुराना फर्निचर वेचते है तो यह Sales नहीं कहलाएगा |

Revenue ( राजस्व ) - रेवेन्यू से आशय ऐसी राशि से है जो माल अथवा सेवाओं के विक्रय से नियमित रूप से प्राप्त होती है साथ ही व्यवसाय के दिन प्रतिदिन के क्रियाकलापों से प्राप्त होने वाली राशियां जैसे किराया , ब्याज , कमीशन , डिस्काउंट आदि भी रेवेन्यू कहलाते हैं |

Income ( आय ) - एक व्यक्ति या संगठन की आय यानी Income वह धन है जो वे कमाते है या प्राप्त करते है |

वैसे आए एक व्यापक शब्द है इसमें लाभ ( Profit ) भी शामिल रहता है |

आय दो प्रकार की होता है –

Direct Income ( प्रत्यक्ष आय ) - इसके अंतर्गत ऐसे ही ऐसी सभी प्राप्तियां आती हैं जो हमारे मुख्य कार्य से प्राप्त होती है | जैसे व्यापार की स्थिति में यदि आप कुछ बेच रहे हैं तो उसका जो भी मूल्य प्राप्त हो रहा है वह Direct Income में आएगा |

मान लीजिए आपका मुख्य व्यवसाय कपड़े का है तो कपड़े के सेल्स से होने वाले प्राप्ति आपकी Direct Income कहलाएंगे |

Indirect Income ( अप्रत्यक्ष आय ) - मुख्य व्यवसाय के अलावा जो भी इनकम होती है वह Indirect Income कहलाएंगे |

उदाहरण के तौर पर यदि आपका कपड़े का व्यापार है तो उसके द्वारा प्राप्त आय के अतिरिक्त जो भी आय होती है जैसे कुछ गोदाम किराए पर दिए हुए हैं तो उनका किराया या आप ने कुछ रुपए बाजार में उधार दिए हुए हैं तो उससे प्राप्त होने वाला ब्याज Indirect Income कहलाएंगे |

Expenses ( व्यय ) - एक व्यक्ति या संगठन का व्यय यानी एक्सपेंस वह धन है जो हम अपने काम के दौरान कुछ करते हुए खर्च करते हैं |

यह भी दो प्रकार का होता है –

Direct Expenses ( प्रत्यक्ष व्यय ) - इसके अंतर्गत हमारे मुख्य कार्य से संबंधित जो भी सीधे खर्च होते हैं वह आते हैं जैसे व्यापार की स्थिति में यदि आप बेचने के लिए कुछ खरीदते हैं या खरीदे हुए माल पर सीधे कोई खर्च करते हैं तो उसे पर जो धन खर्च होता है वह प्रत्यक्ष व्यय यानी Direct Expenses कहलाता है |

उदाहरण के लिए आपका मुख्य व्यापार कपड़े का है तो जो कपड़ा आप खरीदते हैं उसका मूल्य , गोडाउन या फैक्ट्री तक लाने के लिए गाड़ी का जो भी भाड़ा देते हैं , कपड़े पर कोई भी एंब्रॉयडरी करते हैं यानी कपड़े को बेचने योग्य बनाने के लिए जो भी खर्च करते हैं यह सभी खर्च आपके Direct Expenses कहलाएंगे |

Indirect Expenses ( अप्रत्यक्ष व्यय ) - इनका संबंध वस्तु के क्रय या उसके निर्माण से न होकर वस्तु की बिक्री या कार्यालय से संबंधित होता है | सरल शब्दों में कह सकते हैं मुख्य व्यवसाय से संबंधित जो भी सीधे खर्च होते हैं उनको छोड़कर शेष सभी खर्च इसके अंतर्गत आते हैं |

जैसे व्यापार या व्यवसाय को चलाने के लिए जो भी खर्च होते हैं जैसे ऑफिस से संबंधित खर्च कर्मचारियों का तनख्वाह , बिजली बिल , स्टेशनरी खर्च इत्यादि |

Interest ( ब्याज ) - व्यापार में जब हम किसी से कर्ज लेते हैं या फिर किसी को लोन देते हैं तो उसे लोन राशि के उपयोग के बदले में लोन देने वाले को एक निश्चित दर से प्रतिफल ( Consideration ) के रूप में कुछ राशि देनी पड़ती है जिसे ब्याज ( Interest ) कहते हैं |

कई बार हम किसी सप्लायर से ज्यादा दिनों की उधारी पर माल खरीदते हैं तो लंबी अवधि के लिए भी हमको ब्याज देना पड़ सकता है |

इसके विपरीत यदि हमने किसी कस्टमर को लंबी अवधि के लिए उधार माल बेचाते है तो उसे पर हम ब्याज ले सकते हैं |

Discount ( छूट ) - व्यापारी द्वारा अपने ग्राहकों को दी जाने वाली छुट या रियायत को ही डिस्काउंट कहते हैं |

जब हमें किसी से डिस्काउंट प्राप्त होता है तो उसे Discount Received कहते हैं और जब किसी को डिस्काउंट दिया जाता है तो उसे Discount Allowed / Discount Given कहा जाता है |

यह डिस्काउंट दो प्रकार का हो सकता है –

Trade Discount ( व्यापारिक बट्ट ) - व्यापारी माल बेचते समय ग्राहक को माल के मूल में कुछ राशि कम करता है या बिल की राशि में से कुछ राशि कम करता है इस तरह की छूट को बिल में ही कम कर दिया जाता है इसे ही Trade Discount कहते हैं |

Cash Discount ( नकद बट्ट ) - व्यापारिक चलन के अनुसार प्रत्येक ग्राहक को एक निश्चित अवधि में भुगतान करने की सुविधा प्रदान की जाती है अगर ग्राहक निश्चित अवधि के पहले ही भुगतान कर दे तो उसे कुछ छूट दी जाती है जिसे Cash Discount यानी CD भी कहा जाता है |

प्राय: यह डिस्काउंट प्रतिशत के रूप में दिया जाता है जैसे 2% Cash Discount या 3% Cash Discount इत्यादि |

Commission ( कमिशन ) - जब किसी व्यक्ति या संस्था को किसी का काम करने , जैसे कुछ खरीदने या बेचने में सहायता देने या अन्य कोई काम करने के प्रतिफल स्वरूप कुछ पारिश्रमिक मिलता है तो उसे कमीशन कहते हैं |

Service ( सेवा ) - वर्तमान में सेवा का अर्थ बड़ा व्यापक हो गया है अपने व्यवसाय में हम कई प्रकार की सेवाओं का उपयोग या उपभोग करते हैं जैसे हम अपने कंप्यूटर Supplier से अपना कंप्यूटर सुधरवाते हैं या कंप्यूटर में कोई नया सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाते हैं तो यह उसके द्वारा दी गई सेवाएं हैं |

इसी तरह मान लीजिए हमने किसी इलेक्ट्रीशियन से अपना अपने यहां AC ठीक करवाया है तो यह भी उसके द्वारा दी गई सर्विस ही है |

Customer ( ग्राहक ) - हम जिसे माल बेचते हैं वह हमारा Customer कहलाता है |

Supplier ( विक्रेता ) - विक्रेता हम जिससे माल खरीदते हैं उसे Supplier कहते हैं |

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